ये कैसा मौसम आया है, ये कैसी हवा चली है,
- फ़नकार
मेरे वतन को, जाने किस की नज़र लगी है,
हरसू बदहवासी, मायूसी का आलम बरपा है,
खिज़ा की यह मियाद, जाने और कितनी लम्बी है!
उजाड़ से इस बागीचे में, कभी आस का पंछी रहता था,
बहार यहाँ पर बसती थी, रंगों-खुशबू का यह मरकज़ था,
ज़मज़म-ऐ-तालाब सूख गया, प्यास ने पंछी मार दिया,
ख़ुश्क मिज़ाज, इस समाज ने, इंसानियत को राख किया!
आखरी बार सन सैंतालिस में, जो बीज बोये थे उम्मीदों के,
पेड़ वो आज ठूंठ हैं, ख्वाब वो आज बंजर हैं,
उठो, चलो, फिर उगाई करनी है, फिर से पानी देना है,
मुल्क़ के इस जर जर पिंजर को जगाना है, जिंदा करना है!
खिज़ा की यह मियाद, जाने और कितनी लम्बी है!
उजाड़ से इस बागीचे में, कभी आस का पंछी रहता था,
बहार यहाँ पर बसती थी, रंगों-खुशबू का यह मरकज़ था,
ज़मज़म-ऐ-तालाब सूख गया, प्यास ने पंछी मार दिया,
ख़ुश्क मिज़ाज, इस समाज ने, इंसानियत को राख किया!
आखरी बार सन सैंतालिस में, जो बीज बोये थे उम्मीदों के,
पेड़ वो आज ठूंठ हैं, ख्वाब वो आज बंजर हैं,
उठो, चलो, फिर उगाई करनी है, फिर से पानी देना है,
मुल्क़ के इस जर जर पिंजर को जगाना है, जिंदा करना है!
- फ़नकार
very nice but markaz ka meaning bata do...:-)
ReplyDeleteThanks...markaz means 'centre'
ReplyDeletewah :) gud one...
ReplyDeleteAb is baar jo mauka mila hai...hame gawana nahi hai...JAI HIND
keep it up my friend i know you can come up with more jhakss stuff
ReplyDeleteVery nice. Now its our turn to do something for our country. Let's try together, surely we can and we will make the difference.
ReplyDeleteThe 'fankaar' in you touched a raw nerve ....... You paint such a bleak picture ........ But the tragedy is that your flight of fantasy is an ugly reality
ReplyDeleteawareness only goes so far, therefore lead.
ReplyDeleteleading with big words only go so far, therefore lead by example.
there's plenty of hope out there, but becoming a follower is far too easy and convenient. so vent but don't lament, and be something that the rest will believe in and follow. silently.
For those also serve who stand and wait, and in this case follow silently. There can be but only one leader and if everyone aspires to become a leader then we have the makings of a classic 'khichri' "............... Hey I liked that bit about "vent but do not lament"
ReplyDeleteTrue and it is a very carefully thought out strategy to have just 1 person, Anna in this case, to be the face of the movement, the leader. Because for every 1 Anna, there is a whole machinery (in this case IAC) that is doing a fab job of keeping everything together and the momentum high with all the political acumen and determination required..
ReplyDeleteसन सैंतालिस में जो बीज बोये थे उम्मीदों के
ReplyDeleteपेड़ वो आज हरे हो उठे हैं, ख्वाब वो फिर सुन्दर हो उठे हैं
हजारे की आँखों में फिर जग गये हैं
उठो, चलो, फिर उगाई करनी है, फिर से पानी देना है
मुल्क के इस बगीचे को फिर से सजाना है,
जिंदा करना है उम्मीदों को
भ्रष्टाचार भागना है!