धुली-धुली, ताज़ा-तरीन,
अध्खुली आँखें, बेहद हसीन,
मख़मली होंठ, बेख़याल मुस्कान,
मासूम अंगड़ाई, हम पर एहसान!
नए एहसास, नए आयाम,
नया ओहदा, नयी पहचान,
नन्हीं अंगुलियाँ लगीं मचलने,
अभी से चाहें चल विचरने।
रूई के फ़ाहे, तुम दोनों के साये,
पवन हो नम और कोयल सुर सजाये,
दबे पाँव आकर, आहिस्ता से छुआ है,
कुछ तो हुआ है...कुछ तो हुआ है!!
- फ़नकार