पुल्कित पल्लव से कोपल की ओर,
नन्हें पाँव विचरें चहुँ ओर।
तितली के रंगों में डूबा है जीवन,
तुतलाते स्वरों में बोलता है बचपन।
चिड़ियों की चहक से प्रारम्भ होती भोर,
किलकारियों से गूंजे संगीत चहुँ ओर।
पुष्प सुगंधित मेहकाएँ उपवन,
देवियाँ हों, तो वातावरण पावन।
हो खुला आसमान या बादल घनघोर,
बेटियाँ हर मौसम में थामें जीवन डोर।
- फ़नकार
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